चोरी माया साहस करैं।
वचन करूर सब सूं वौचरै।
वनिया करै कपट व्यौपारा।
विन अपराध नींच व्यवहारा॥
स्रोत
-
पोथी : जम्भसार ,भाग - 1-2
,
-
सिरजक : साहबराम राहड़
,
-
संपादक : स्वामी कृष्णानंद आचार्य
,
-
प्रकाशक : स्वामी आत्मप्रकाश 'जिज्ञासु', श्री जगद्गुरु जंभेश्वर संस्कृत विद्यालय,मुकाम , तहसील - नोखा ,जिला - बीकानेर
,
- संस्करण : द्वितीय