फिर चौको देयर करो रसोई, मंत्र विना सुध कदे होई।

अवनि पवित्र सदा त्रिकाला, सब जीवन का तुम प्रतिपाला॥

इण पद रै मांय कवि साहबराम बता रह्या है कि रसोई घर रै मांय चूल्है रै ऊपर चौकौ देवण रै पछै रसोई करणी चहिजै। संभव हौवै तो मंत्रा रौ

उच्चारण भी करणौ।

जीवण रै जुगति खातिर रसोई बणावण स्यूं पहला तीनां बगत जगह री पवित्रता जरुरी है।

स्रोत
  • पोथी : जम्भसार ,भाग - 1-2 ,
  • सिरजक : साहबराम राहड़ ,
  • संपादक : स्वामी कृष्णानंद आचार्य ,
  • प्रकाशक : स्वामी आत्मप्रकाश 'जिज्ञासु', श्री जगद्गुरु जंभेश्वर संस्कृत विद्यालय,मुकाम , तहसील - नोखा ,जिला - बीकानेर ,
  • संस्करण : द्वितीय
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