लोक आस्था केन्द्रों और तीर्थस्थलों पर लगने वाले मेलों के अलावा पर्यटकों को राजस्थानी संस्कृति से परिचित करवाने के लिए कुछ नए मेले और उत्सव पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित किए जाते हैं। इनमें लोक कलाकार, गायकों और वाद्य यंत्र बजाने वाले लोगों को बुलाया जाता है। ऐसे मेलों और उत्सवों में मुख्य इस प्रकार हैं–
जैसलमेर का मरु-महोत्सव
माघ महीने की पूर्णिमा को जैसलमेर के रेतीले धोरों के बीच ‘मरु-महोत्सव’ आयोजित किया जाता है। इसमें पर्यटक और स्थानीय लोग भाग लेते हैं। यहां राजस्थानी गीत-संगीत के साथ ऊंटों को सजाकर उनसे अनेक कौतुक करवाए जाते हैं। यह मेला सैलानियों को राजस्थान की बहुरंगी संस्कृति से परिचित करवाता है।
जयपुर का हाथी-उत्सव
यह उत्सव फागुन माह में जयपुर में आयोजित होता है। हाथियों की खास सजावट करके उनसे अनेक करतब करवाए जाते हैं। अनेक पर्यटक हाथी की सवारी का आनंद भी उठाते हैं।
बीकानेर का ऊंट-उत्सव
सर्दियों में बीकानेर में ‘ऊंट-उत्सव’ का आयोजन होता है। इस अवसर पर ऊंटों को रंग-बिरंगे वस्त्र पहनकर सजाया जाता है। ऊंटों की दौड़ भी आयोजित होती है।
मांड-महोत्सव
मांड राजस्थानी गायन की खास शैली है। राजस्थानी लोक संगीत को संरक्षित करने के लिए इस आयोजन का खास महत्व है।
बाड़मेर का थार महोत्सव
राजस्थान में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बाड़मेर में ‘थार-महोत्सव’ का आयोजन किया जाता है।