मुहर्रम

यह पर्व पैगंबर हजरत मुहम्मद के नाती इमाम हुसैन के बलिदान की स्मृति में मनाया जाता है। इस पर्व से पहले दस दिनों तक उपवास रखा जाता है और इस दिन ताजियों के जुलूस निकाले जाते हैं और इमाम हुसैन की शहादत को याद करके विलाप किया जाता है। ताजियों को किसी जलाशय में दफनाकर लोग वापिस लौटते हैं। 

चेहल्लुम

मुहर्रम के चालीस दिनों के बाद सफर मास की बीसवीं तारीख को यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन ताजिए निकाले जाते हैं और उन्हें दफनाया जाता है। 

बारावफात

यह मुहम्मद साहब के पवित्र जन्म एवं मरण की स्मृति में मनाया जाता है। इसे इदे-मिलाद भी कहते हैं। 
शब-ए-बरात सावन मास की चौदहवीं तारीख की शाम को यह त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन मुहम्मद साहब का इंतकाल हुआ था। 

ईद-उल-फितर

रमजान माह की समाप्ति के बाद शव्वाल मास की पहली तारीख को ईद-उल-फितर का त्यौहार मनाया जाता है। मुस्लिम धर्म का यह सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है। 

ईद-उल-अजहा

जिलहीज की दसवीं तारीख को इब्राहीम द्वारा अपने प्रिय पुत्र इस्माइल की कुर्बानी की याद में यह त्यौहार मनाया जाता है। इसे बकरीद भी कहा जाता है। 
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