साधां सेती नेह लगे तो लाइये।
जे घर होवे हांण तहुं न छिटकाइये॥
जे नर मूरख जान सो तो मन में ढरै।
हरि हां, वाजिद सब कारज मिध होय जे कृपा वह करै॥