कहियो जाय सलाम हमारी रांम कूं।

नैण रहे झड़ लाय तुम्हारे नाम कूं॥

कमल गया कुमलाय कल्यां भी जावसी॥

हरि हां वाजिंद, इस बाड़ी में बहुरि भंवरा आयसी॥

स्रोत
  • पोथी : संत सुधा सार (विरह कौ अंग से उद्धृत) ,
  • सिरजक : वाजिद ,
  • संपादक : वियोगी हरि ,
  • प्रकाशक : मार्तण्ड उपाध्याय, सस्ता साहित्य मंडल,नई दिल्ली ,
  • संस्करण : प्रथम
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