कहा करे उपदेश अज्ञानी जीव कूं।
भई जनम की भूल जपै कि न पीव कूं।
सृष्टि भली न वाजिद दुहाई राम की।
हरि हां,अंधे आरसि दई कहो किहि काम की॥