दो दो दीपक जोय सु मंदिर पोढ़ते।
नारी सेती नेह पलट न छोड़ते।
तेल फुलेल लगाय क काया चाम की।
हरि हां, वाजिद मर्द मर्द मिल गये दुहाई राम की॥