सुरंग
रामरख बाखळ में मांचै माथै बेठ्यो ढेरियै सूं जट्ट कातै हो। कनै होको पड़्यो है। बिचाळै-बिचाळै घूंट मार लेवै। इण कमताळी री रुत में जद किरसै नै खेत में होणो चाइजै, बो आपरै घरां बैठ्यो है। उण री भांत गांव रा दूसरा लोग भी घरां में बैठ्या है। करै भी कांई? खेतां