आवारगी पर कवितावां

आवारगी का अर्थ बेकार

इधर-उधर फिरना, स्वच्छंदता, शोहदापन आदि से है। कविता में इसे प्रायः कवि-मन की स्वच्छंदता, बने-बनाए सामाजिक क़ायदे-क़ानून और ढर्रे को नहीं मानने और वर्जित विषयों में सक्रियता के रूप में बरता गया है।

कविता1