दीठ
कोई आठ-साढी आठ बजी होसी। म्हैं म्हारै कमरै मांय बैठ्यौ विनय री दियोड़ी बाइस्कोप ध्यांन सूं देखै हौ। पूजाघर मांय सूं आवती टाली री ‘टण-टण’ री टणकार कांनी म्हारौ ध्यांन नीं गयौ। बठै भगवांन बदरीनाथ री लीला रा गुणगांन करती मां, वां रै ध्यांन में मगन ही।
अचांणचक