स्पर्श पर कवितावां

त्वचा हमारी पाँच ज्ञानेंद्रियों

में से एक है, जो स्पर्श के माध्यम से हमें वस्तुओं का ज्ञान देती है। मानवीय भावनाओं के इजहार में स्पर्श की विशिष्ट भूमिका होती है। प्रस्तुत चयन में स्पर्श के भाव-प्रसंग से बुनी कविताओं को शामिल किया गया है।

कविता3

माणस रो परस

ओम पुरोहित ‘कागद’

सांम्हेळौ

चन्द्र प्रकाश देवल

परस

सत्यप्रकाश जोशी