अफ़वाह पर कवितावां

जनप्रवाद—लोगों के बीच

चर्चित ऐसी ख़बर या जानकारी जिसकी सचाई संदिग्धक हो। सामाजिक संरचना में कमज़ोर वर्गों पर हमले और उनके उत्पीड़न और राजनीतिक संरचना में सत्ता पर नियंत्रण के लिए अफ़वाहों का उपयोग उपस्कर की तरह किए जाने की प्रवृत्ति रही है। डिजिटल मीडिया के उभार के साथ अफ़वाहों की शक्ति और त्वरा में वृद्धि हुई है। कविताएँ सदैव इसके प्रति सचेत करती रही हैं।

कविता2

अफवाह

भरत ओला

बाबो

रतना ‘राहगीर’