नश्वर पर कवितावां

मानव शरीर की नश्वरता

धार्मिक-आध्यात्मिक चिंतन के मूल में रही है और काव्य ने भी इस चिंतन में हिस्सेदारी की है। भक्ति-काव्य में प्रमुखता से इसे टेक बना अराध्य के आश्रय का जतन किया गया है।

कविता2

रूंख

दुष्यन्त जोशी

रेवड़ी

राजेन्द्र गौड़ 'धूळेट'