विस्थापन पर कहाणियां

अपनी जगहों को छोड़कर

दूसरी जगहों पर मजबूरन, जबरन या आदतन जाना युगों से मानवीय जीवन का हिस्सा रहा है; लेकिन निर्वासन या विस्थापन आधुनिक समय की सबसे बड़ी सचाइयों में से एक है। यह चयन उन कविताओं का है जिन्होंने निर्वासन या विस्थापन को अपने विषय के रूप में चुना है।

कहाणी3

मछली

रामेश्वर गोदारा ‘ग्रामीण’

जमारौ

यादवेन्द्र शर्मा चन्द्र

बजंटी

शान्ति भारद्वाज