कथा-कहाणी पर लेख
महत्त्व वैशाख सुदी तृतीया को अक्षय तृतीय (आखातीज) का त्यौहार मनाया जाता है। राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों में किसान वर्ग इसे लोकपर्व की भांति मनाता है। इस दिन किसान हल लेकर खेत में जाकर जुताई अवश्य करते हैं। सभी के घरों में बाजरे का खिचड़ा बनता है। इस
व्रत विधि ज्येष्ठ अमावस्या को ‘बड़सांयत अमावस्या’ भी कहा जाता है। इस दिन औरतें सत्यवान, सावित्री और यम की पूजा करते हुए व्रत रखती हैं। वे समूह में बड़ के पेड़ के नीचे जाकर वहां कुमकुम, चावल, हल्दी, भीगे हुए चने और घी का दीपक रखकर उसकी सात परिक्रमा लगाती
व्रत विधि भारतीय समाज में नवरात्रों में देवी उपासना अगाध श्रद्धा के साथ की जाती है। इसमें व्रतधारी नवरात्रा के पहले दिन घट-स्थापना करने के साथ गणेश और शक्ति की पूजा करके व्रत की अवधि में सात्विक जीवन व्यतीत करने का संकल्प लेते हैं। इसके बाद भूमि पूजन
विधि सिद्धि विनायक का व्रत गणेश-चतुर्थी (भाद्रपद वदी चतुर्थी) के दिन किया जाता है। सर्वप्रथम गणेश को स्नान करवाकर वस्त्र, सिंदूर और चंदन आदि से श्रृंगार करके उन्हें आसन पर प्रतिष्ठित किया जाता है। उनको अर्ध्य देने के बाद पंचामृत का आचमन करवाया जाता
हरतालिका तृतीया के व्रत का महत्त्व और व्रत विधि हरतालिका तीज राजस्थान का बेहद लोकप्रिय पर्व है। इसे राजस्थानी संस्कृति के प्रतीक पर्वों में गिना जाता है। इस दिन कुंवारी कन्याएं और विवाहित स्त्रियां शिव-गौरी की पूजा करती हैं। दिनभर निराहार व्रत रखकर संध्या