कर्मवाद पर कवितावां

मिनख भला या भुंडा जो

भी कर्म करे वां रे अनुरूप हिज उणने फळ मिळे। कर्म अर फळ रो परस्पर सम्बन्ध है वर्तमान कर्म निर्धारित करे कै भविष्य में सुख मिळैला या दुःख। ओ हिज कर्मवाद है।

कविता4

परबार

रोशन बाफना

माला रा मिणियां

शिवराज छंगाणी

कर्म रै बिना

महेन्द्रसिंघ महलान