घास पर कवितावां

प्रकृति, उर्वरता-अनुर्वरता,

जिजीविषा आदि विभिन्न प्रतीकों के रूप में घास कविता में उगती रही है।

कविता2

बीज

चंद्र सिंह बिरकाळी

रूंख

सूर्यशंकर पारीक