लोक नृत्य
आदिकाल से मानव अपने आनंद के क्षणों में अंग भंगिमाओं का अनियोजित प्रदर्शन करता आया है, मानव का यह स्वाभाव समष्टि रूप में आयोजन बनकर लोक नृत्यों के रूप में सामने आया, काल की विभिन्न सीमाओं में प्रत्येक वर्ग, जाति और क्षेत्र के लोक नृत्यों की परम्परा का