भीड़ पर ग़ज़ल

किसी जगह एकत्र लोगों

के तरतीब-बेतरतीब समूह को भीड़ कहा जाता है। भीड़ का मनोविज्ञान सामाजिक मनोविज्ञान के अंतर्गत एक प्रमुख अध्ययन-विषय रहा है। औपचारिक-अनौपचारिक भीड़, तमाशाई, उग्र भीड़, अभिव्यंजक भीड़, पलायनवादी भीड़, प्रदर्शनकर्त्ता आदि विभिन्न भीड़-रूपों पर विचार किया गया है। इस चयन में भीड़ और भीड़ की मानसिकता के विभिन्न संदर्भों की टेक से बात करती कविताओं का संकलन किया गया है।

ग़ज़ल2

हाथां नै हथियार चाइजै

राजेन्द्र शर्मा 'मुसाफिर'

चंडाळ चौकड़्यां रै बख में

राजेंद्र स्वर्णकार