क्रान्ति रा बीज
आदमी कूरड़ी पर खड़्यो है। कूरड़ी! भांत-भांत रो मैल। कूरड़ी बधती जाय रैयी है, क्यूंकै मैलो रोजीना आय-आय’र पड़ै अठै। आदमी रा पग भर्योड़ा है मैलै में; हाथ गंदा है, मन मैलो है।
आदमी रो मन कूरड़ी सूं घाट कोनी– पलक-पलक बदळणियो मन! ओ मैलो अठै सूं ही आय-आय’र