अणहद पर कहाणियां

अणहद का अर्थ अनाहत या

सीमातीत है। इसका अर्थ समाधि की स्थिति में सुनाई पड़ने वाला नाद भी है। कबीर, गुरु नानक, मलूकदास आदि मध्यकालीन भक्त-कवियों द्वारा इस शब्द के प्रयोग ने इसे विशेष लोकप्रिय बनाया है।

कहाणी1

झपट

रामेश्वर दयाल श्रीमाली