आलम धणी पर कवितावां

आलमजी रै पिताजी रौ नांव

रायमलजी अर माताजी रौ अंतरादेवी हो। आलमजी रौ जलम अग्रवाल बणिज गोत में विक्रम री 16 सदी में हुयौ। गुरु जांभोजी री महिमा रौ बखाण करण वाळा संत कवियां में आलमजी आगली पांत में खड़ा लाधै। शास्त्रीय राग- रागणियां रा लूंठा जाणकार अर गावण-बजावण में सबस्यूं निराला संतकवि आलम जी रौ देहावसान जोधपुर जिले री ओसियां तहसील रै भीकमकौर गांव में हुयौ। जिण ठौड़ आलमजी री पांचभौतिक देह समाधिस्थ करिजी, उण हिज जगै आज मनोहारी मंदिर नुमा छतरी बणियौड़ी है। वां री याद में हर साल मिगसर सुदी नवम रै दिन मेळौ भरिज्यो जावै।

कविता1

छोरी

मोहन आलोक