ताह निवाज के राज दियौ, सिध काज कियौ सब ही मन भायौ।

बांध कुटी तहँ द्वार अगै, त्रिय लोकपति चतरमास रहायौ।

राज हु को बळराज हु को, जस वेद पुरांण जुगोजुग गायौ।

ईसरदास की बेर दयानिध, नींद लगी कन आळस आयौ॥

स्रोत
  • पोथी : मूल पांडुलिपि में से चयनित ,
  • सिरजक : ईसरदास बोगसा ,
  • संपादक : मनोहर शर्मा ,
  • प्रकाशक : विश्वम्भरा पत्रिका, प्रकाशन स्थल-बीकानेर