ता सुत भो बळराज बली स्रुग खोस लियौ अमरां दुख पायौ।

त्राह पुकार करूं तुमसे हरि स्याह करे मम वास छुङायौ।

वामंण रूप धरे बळ कूं छळ, पाव सुं दाब पयाळ पठायौ।

'ईसरदास' की वेर दयानिध, नींद लगी कन आळस आयौ॥

स्रोत
  • पोथी : मूल पांडुलिपि में से चयनित ,
  • सिरजक : ईसरदास बोगसा ,
  • संपादक : मनोहर शर्मा ,
  • प्रकाशक : विश्वम्भरा पत्रिका, प्रकाशन स्थल-बीकानेर