राज तजे बनवास सजे धुव, रांम भजै रिख भेद बतायौ।

आय रतंस बसै सतंकर, दाव अतंचित नांह चलायौ।

टेक रही खटमास मही मिळ, रांम भही निरभै पद पायौ।

ईसरदास की बेर दयानिध, नींद लगी कन आळस आयौ॥

स्रोत
  • पोथी : मूल पांडुलिपि में से चयनित ,
  • सिरजक : ईसरदास बोगसा ,
  • संपादक : मनोहर शर्मा ,
  • प्रकाशक : विश्वम्भरा पत्रिका, प्रकाशन स्थल-बीकानेर