रैनि समैं सलिता मधि मैं, नंदनंदन राधे लसैं यौ तिरे हैं।

सोहैं कमोदनि सी सखियां, परसैं अति आंनद-रंगभरे हैं।

यौं दुहु-वोरन की छबिता सौं, समाज सौं आखिन बीचि धरे हैं।

ज्यौं ससि साथ नछित्रन कै, प्रतिबिंब त्यौं छूटि दुहूं उघरे हैं॥

स्रोत
  • पोथी : नेहतरंग ,
  • सिरजक : बुध्दसिंह हाड़ा ,
  • संपादक : श्रीरामप्रसाद दाधीच ,
  • प्रकाशक : राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर ,
  • संस्करण : first
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