मौज करी गुरुदेव दया करि शब्द सुनाइ कह्यौ हरि नेरौ।

ज्यौं रवि कैं प्रगट्यें निशि जाति सु दूरि कियौ भ्रम भांनि अंधेरौ।

काइक बाइक मानस हू करि है गुरुदेवहि बंदन मेरौ।

सुन्दरदास कहै कर जोरि जु दादूदयाल कौ हूं नित चेरौ॥

स्रोत
  • पोथी : सुंदर ग्रंथावली ,
  • सिरजक : सुंदरदास जी ,
  • संपादक : रमेशचन्द्र मिश्र ,
  • प्रकाशक : किताबघर, दरियागंज नई दिल्ली ,
  • संस्करण : प्रथम
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