नंदन नंद लगै मन रंजन खंजन ही अण अंजन भारी।
चंदन सो मुख तेज लगे शुभ कुंदन सो कर में चक्रधारी।
कंदन कष्ट अरू भय भंजन कृष्ण तुँही इण लोकन तारी।
कंश निकंदन मेटण फंदन वंदन है तुझसे गिरधारी॥