मंद भयौ पियकौ मुख चंदसौ, चंद्रिका हौंन चली सरनैं है।
सौंतिनके खुले नैंन-सरोज, हितू चित जैसैं मुद्रा बरनैं हैं॥
मोतिनहार नखित्रन-जोति, यौं मानसमैं उपमां झरनैं हैं।
जेठ समैं मांनौं तापसौं तूटिकैं, छूटि परी रबिकी किरनैं हैं॥