कोई दीन कूं मुसला कैत है, कोई दीन कूं कहै हिंदू हजारी।
कोई दीन कूं कैत है कबीर के जोड़ का, कोई दीन कूं कहै दरसणा धारी।
कोई दीन कूं कहै भजन प्रवीन में, कोई दीन कहै जोगी जिहारी।
ना दीन तो कीध भजन भू पर है, ना ऊंच ना नीच हलको न भारी॥