दीन तौ देख विचार किया, संसार तो रेन का सपना है।
जांणौ बूझ जंजाल में कुन परै, त्रहु ताप की झाल में तपना है।
जीव बुझ साहिब कूं भूल मती, इस युग में को नहीं अपना है।
सांई दीन कहै कह्या मान मेरा, जुग जुग जीवै तौई खपना है॥