बिगरी बिगरी उनकी बिगरी, इनकी बिगरी इनकी बिगरी।
जिन नाम लियो न भज्यो भवतारन, श्याम बिना ज्यूं सूनी नगरी।
वाकी रैत लुटै कुन भीर करै, आभ फट्यो न लगै थिगरी।
सांईदीन कहै निज नाम लियां बिन, ना सुधरै बिगरी बिगरी॥