केती मजूरी सुधारी कमांन, भर्यौ भलका जिहिं बीच सराहैं।
हेरि समुद्रसौं लाल मगायकै, लाखनि साथ लई लखि लाहैं॥
ल्याई तिहारे सिंगारकैं काजु, छकी मति रीझि लखैं छबि ताहैं।
मोंलके मैघेसौ मोती मनौं, नथ मोतिय-चंद मिल्यौ मुख चाहैं॥