दैत विरोचन खोस लियौ स्रुग, आरत बैन सुरेस सुनायौ।

हैजक्खी धन मांह सुधा मिल, लेहू मथे हर भेद वतायो।

नीर मंद्राचल डूब गयो तब, कोरंभ व्है गिर पीठ भमायौ।

'ईसरदास' की वेर दयानिध, नींद लगी कन आळस आयौ॥

स्रोत
  • पोथी : मूल पांडुलिपि में से चयनित ,
  • सिरजक : ईसरदास बोगसा ,
  • संपादक : मनोहर शर्मा ,
  • प्रकाशक : विश्वम्भरा पत्रिका, प्रकाशन स्थल-बीकानेर