आपही जो गुन की गति जानत, सोई गुनानि कौ संग गहैं हैं।
जो धर्मसि गुण भेद अभेद, गुमार कहा सु गुनी कुं चहैं हैं।
दूर सुं दौर्यो ही आवें दुरेफ, जहां कछु चारिज वास वहैं हैं।
अेक निवास पैं पास न आवत, मैंडकु कीच कैं बीचि रहैं हैं॥