मुख-मुख रो मिठियास, जण-जण रै जीवां जड़ी।
रेत रळै इतियास, गमै गुमेजण जीवणा॥
मिरगा पकड़ै सेर,सागी मुख निज रा जण्या।
पकड़-पकड़ रो फेर, मारै-पोखै जीवणा॥
मानसरां कर न्हाण, काग किस्या हंसा हुवै।
माछ दीखतां पाण, जात जणावै जीवणा॥
किण बिध लगसी पार,अकलहीण अगवाण जठै।
टुरगी रासभ लार, भेड किरोड़ूं जीवणा॥
संचियौ सित्तर साल,पुरखां रगत-पसेव स्यूं।
कपटी चाल कुचाल, देस बेचगो जीवणा॥
तोल बोल ल्या जीभ,काला बचन खोटा घणा।
बिना हाड री जीभ, हाड तुड़ाद्'यै जीवणा॥
काला हेत कुहेत,कपटी नर किण रा कणां।
रळै माजणो रेत, अळगो रहिज्यै जीवणा॥
फंफेड़ी फिरंगाण,भगतसिंघ सा भगत कठै।
मिटिया मायड़ आण,जस जीवै जग जीवणा॥
जोर करै जद भाग,नीचां नै ई जग निंवै।
कनागतां ज्यूं काग,आदर पावै जीवणा॥
केसां नँह करतार, भड़ नँह बाजै भासणां।
करमां तणी कुंतार, जगड़ै जीवै जीवणा॥
दूजां रा तिल ताड़,गुण सगळा औगण गिणै।
निज रा दोख पहाड़, राई जिता न जीवणा॥
जण रै धन बळ पांण,अधम बिराज्या आसणां।
किरतघणा नँह कांण, जण नै रोसै जीवणा॥
मीत हुया अणमीत,अेक नीं भीड़ू भीड़ रो।
कर-कर हारूं चींत,काग पड़ै रै जीवणा॥
आज राज कल नाय,मिनखपणो राखौ सिरै।
गात गमै जस नाय, जुग-जुग जीवै जीवणा॥
राजिन करौ बिचार, सत री सींवां सांभळौ।
भूंडै सब संसार, कूड़ कपट जग जीवणा॥
मन रा मिलण संजोग,तन रा मेळा मोकळा।
जलम-जलम रा जोग,जीवां अेकठ जीवणा॥
कटै झुरंतां जूण,मन खेड़ा ऊजड़ हुवै।
हुवै सवाई पूण,वाल्ह बिछड़ियां जीवणा॥
निसतै छुटणीं खोड़,इक दिन आंको आवणो।
कोसिस करो किरोड़,मरण अमर जग जीवणा॥
चालै चाल कुचाल,कपट कुनीत कुमाणसा।
बणै कड़ूंबै काळ, रावण राजा जीवणा॥
कुरळै किरस कमेर,भौम बिणजगा भौमिया।
बिकै टकै रो सेर, देस खरीदो जीवणा॥
चटका, चभका, चीस,चणक रीळ, घोबौ रुळा।
पीड़ हरै जगदीस, अींठ बांयटै जीवणा॥
कू'ड़ी माठ-मरोड़, मूछ्यां मूंढो मालकां।
मात छोडद्'यी खोड़,भद्दर होज्या जीवणा॥