तुरत बिगाड़े तांह, पर गुण स्वाद स्वरूप नै।

मित्राई पय मांह, रीगल खटाई राजिया॥

स्रोत
  • पोथी : राजिया रा सोरठा ,
  • सिरजक : कृपाराम खिड़िया ,
  • संपादक : शक्तिदान कविया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम