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साइट: परिचय
संस्थापक: परिचय
अंजस सोशल मीडिया
सुरसरि समंद समाय
बुधसिंह सिढ़ायच
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सुरसरि
समंद
समाय,
रहै
निराळी
रूप
सूं।
ब्रह्म
गुणां
विलगाय,
मिलै
न
ज्यूं
जीवां
मही॥
स्रोत
पोथी
: देविचरित (भाग -2)
,
सिरजक
: बुधसिंह सिंढायच
,
संपादक
: फतेहसिंह
,
प्रकाशक
: निदेशक, राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर
,
संस्करण
: प्रथम