

आया अंग अन्हाय
अघ भरिया जग अंग
असमंजस नृप आद
ब्रह्मलोक रो वास
देह पड़ै जिण देस
देही नरक-दवार
गंग न भीनो गात
घड़िया मांनव घाट
गया न थारी गैल
हाड पखाळण हाल
जोग करण हठ जंग
केस दिये जो काय
कोस चारसै कोय
प्रांणी रेळापेळ
पुनवांनां प्रतपाळ
शाप वशिष्ट समेट
सुरसरि समंद समाय
सुत पितु मात सकोय
उर भीना अनुराग
वेद उलांघे वाट