स्नेह-राग संताप, जीता! निश्चय जाणजै।

समभावै चित थाप, अप्प सुख दुख बहुला अख्या॥

स्रोत
  • पोथी : आराधना (आत्म संबोध) ,
  • सिरजक : जयाचार्य ,
  • संपादक : युवाचार्य महाप्रज्ञ ,
  • प्रकाशक : जैन विश्व भारती लाडनूं
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