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अंजस सोशल मीडिया
स्तुति जश और प्रशंस
जयाचार्य
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स्तुति
जश
और
प्रशंस,
हिवड़ै
सुण
नवि
हरखियै।
अवगुण
द्वेष
न
अंश,
सुण
तूं
जय!
सीखड़ी॥
स्रोत
पोथी
: आराधना (आत्म संबोध)
,
सिरजक
: जयाचार्य
,
संपादक
: युवाचार्य महाप्रज्ञ
,
प्रकाशक
: जैन विश्व भारती लाडनूं
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