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साइट: परिचय
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अंजस सोशल मीडिया
सत्रू सूं दिल स्याप
कृपाराम खिड़िया
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सत्रू
सूं
दिल
स्याप,
सैणा
सूं
दोखी
सदा।
बेटा
सारु
बाप,
राछ
घस्या
क्यूं
राजिया॥
स्रोत
पोथी
: राजिया रा सोरठा
,
सिरजक
: कृपाराम खिड़िया
,
संपादक
: शक्तिदान कविया
,
प्रकाशक
: राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर
,
संस्करण
: प्रथम