रूठ असी दै रेस, ऊठ महाभड़ ऊठ अब।
कूट गहै छै केस, दूठ वृकोदर देख रे॥
भावार्थ:- भीम को संबोधित करती हुई द्रौपदी कहती है— हे वीर वृकोदर! देख तो सही, यह दुष्ट दु:शासन मेरे बाल खींच रहा है। हे महाभट! अब तो उठ औऱ रुष्ट होकर शत्रुओं को ऐसी यातना पहुँचा। (कि वे भी याद रखें)