रथ भागौ रघुवीर, जम लागौ दूजंण जंणां।
सिर छेदिया सरीर, तिहूं वांणे तिसरा तंणा॥
सुज मारियो सुनांम, भात्रीजो दीठौ भुवा।
वळि दाखियो विराम, कळि नारी खर सौं कुंवर॥
तैं रांमण सिर ताज, भाई सूपनखां भंणैं।
ऊन्हौ पाऊं आज, तोनु रत राघव तंणौ॥
खर वहसियौ सखोध, सिलह सिलह भर तूर सर।
जंम राकस वड जोध, सेन चढी चवदै सहस॥
आवध कवच अनेक, धजा पताखा छत्र धरि।
आयांणै रथि ऐक, खरु जोतिया सहस खर॥
नीधूसिया निसांण, हेकँपिया कायर हिया।
ऊकळियो आरांण, दौ देवां बौ दांणवां॥
सर गोली भरि सोक, कळह रौद्र हूकळ कळळ।
लख राकस जम लोक, रांमति दसरथ राव उत॥
सरतर वज्र त्रिसूळ, कूंत गुरिज तोमर सकति।
झड़ मंडे भड़ झूळ, बूठा सिर रघुवंसियां॥
रिम बूडा रंण ताळि, छत्र तरिया माथां सहित।
खळ श्रोणी जळ खाळ, भरि भाद्रवे कि भाखरै॥
रिम रामति श्री रांम, दूखर खर त्रिसरा दुगम।
सहि छेदिया संग्राम, सर हेकण चवदह सहस॥
दूखर खर दिठि दीठ, गयंद जोध भागे गडे।
नाठी सुपंनेखा नींठ, संघरते चवदह सहस॥
सुरड़ी बूंटी साय, कळि नारी सिर कूटती।
जहां रांमण तहां जाय, पोकारी लंका पुरी॥
सेन सहित संग्रामि, दूखर खर तिसरा दुगंम।
सहि राकस लंक सांमि, साझे दुहूं संन्यासियां॥
तरंणि ऐक संगि ताय, सोभा निधि मुख विधि सती।
मैं त्रीहूं भुवंणा मांय, इसी न काय ईखी अवर॥
रांण गमंण लंक राजि, सीता ग्रह आंणण सकति।
सांभळि कथ रथ साजि, चढि गयणांगि चलावियो॥