कविगण निज कलमां, बैठा बेचै वित्त मैं।

करतब सरै कियां, सत साहित रै सरजण रो॥

स्रोत
  • पोथी : बानगी ,
  • सिरजक : मोहन आलोक ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम
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