हार्या कर हल्लोह, मछ अरजुन वेध्यौ मुदै।
दिन उण रो बदलोह, साझै मोसूं सांवरा॥
भावार्थ:- (कौरवादि) हल्ला करके हार गए थे; स्वयंवर के समय मत्स्य को तो प्रधानत: अर्जुन ने ही वेधा था। उस दिन का वैर बदला हे श्याम! आज मुझसे लिया जा रहा है।