गुण सूं तजै गांस, नीच हुवै डर सूं नरम।

मेळ लहै खर मांस, राख़ पडे जद राजिया॥

स्रोत
  • पोथी : राजिया रा सोरठा ,
  • सिरजक : कृपाराम खिड़िया ,
  • संपादक : शक्तिदान कविया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम