व्यास बिगाड़्यौ वंस, कैरव निपज्या जेण कुल।

असली व्हेता अंस, सरम लेता सांवरा॥

भावार्थ:- व्यास ने उस वंश को बिगाड़ दिया जिसमें कौरव उत्पन्न हुए थे। अगर वे असली माता पिता की संतान होते तो हे कृष्ण! वे इस तरह मेरी लाज लेते।

स्रोत
  • पोथी : द्रौपदी-विनय अथवा करुण-बहत्तरी ,
  • सिरजक : रामनाथ कविया ,
  • संपादक : कन्हैयालाल सहल ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर
जुड़्योड़ा विसै