निलजी कैरव नार, के ऊभी मुळक्या करै।
आसी कुटुँब उधार, देणा सो लेणा दुरस॥
भावार्थ:- हे निर्लज्ज कौरव स्त्रियो। क्या खड़ी खड़ी हँस रही हो। जो आज तुम मुझे दे रही हो, ठीक वही तुम्हें लेना होगा। कुटुम्ब में यह उधार पड़ेगा।